Dr. A.P.J. Abdul Kalam: A Life-Changing Inspirational Story

अब्दुल कलाम की जीवन बदल देने वाली कहानी
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन एक साधारण परिवार से निकलकर देश के सर्वोच्च पद तक पहुँचने की प्रेरणादायक यात्रा है। यह कहानी न केवल प्रेरणा देती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि समर्पण, मेहनत और सपने किसी भी व्यक्ति को महान बना सकते हैं।
🏷️ अब्दुल कलाम का प्रारंभिक जीवन
🏷️ एक गरीब परिवार से शुरुआत
डॉ. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम गाँव में हुआ था। उनका पूरा नाम “अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम” था। उनके पिता जैनुलाब्दीन एक नाविक थे जो यात्रियों को रामेश्वरम मंदिर तक ले जाते थे। उनकी माँ आशियम्मा एक गृहिणी थीं। परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था, लेकिन उसमें संस्कार और आत्मसम्मान की कोई कमी नहीं थी।
🏷️ बचपन में संघर्ष और जिम्मेदारी
छोटी उम्र से ही अब्दुल कलाम पर परिवार की मदद करने की जिम्मेदारी आ गई थी। वे सुबह–सुबह अखबार बाँटते थे और फिर स्कूल जाते थे। यह दिनचर्या कठिन थी, लेकिन उनके अंदर कुछ कर गुजरने की जिद थी। उनका सपना था कि वे विज्ञान के क्षेत्र में कुछ बड़ा करें।
🏷️ शिक्षा और ज्ञान की ओर कदम
🏷️ विज्ञान से लगाव
अब्दुल कलाम को गणित और विज्ञान में गहरी रुचि थी। उनके शिक्षकों ने भी उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने रामनाथपुरम से स्कूल की पढ़ाई पूरी की और फिर सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली से स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
🏷️ एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में करियर
इसके बाद उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। यहां पर उन्होंने एक बार अपने प्रोजेक्ट को लेकर इतना मेहनत किया कि 3 दिन में एक पूरी वर्किंग मॉडल तैयार कर दिया। उनके प्रोफेसर उनकी लगन से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उन्हें समय से पहले प्रोजेक्ट सबमिट करने की सलाह दी।

🏷️ वैज्ञानिक के रूप में यात्रा
🏷️ ISRO और अंतरिक्ष परियोजनाएं
1969 में डॉ. कलाम ने ISRO (Indian Space Research Organisation) जॉइन किया। यहां उन्होंने SLV-III प्रोजेक्ट का नेतृत्व किया जो भारत का पहला स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च वाहन था। 1980 में रोहिणी उपग्रह को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया।
🏷️ रक्षा अनुसंधान और मिसाइल विकास
1982 में वे DRDO (Defence Research and Development Organisation) में गए जहाँ उन्होंने “इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP)” का नेतृत्व किया। इस परियोजना के तहत पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश, नाग और अग्नि जैसे मिसाइलों का विकास हुआ। इस योगदान के कारण उन्हें “मिसाइल मैन ऑफ इंडिया“ की उपाधि दी गई।
🏷️ राष्ट्रपति बनने तक की यात्रा
🏷️एक वैज्ञानिक से राष्ट्रपति
2002 में, अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बने। वे राजनीति से नहीं, बल्कि विज्ञान और शिक्षा से जुड़े व्यक्ति थे। बावजूद इसके, उन्हें देशभर से भारी समर्थन मिला। वे ऐसे राष्ट्रपति थे जो बच्चों और युवाओं के बीच अधिक लोकप्रिय थे। उन्हें “जनता का राष्ट्रपति” कहा जाता था।
🏷️ सादगी और विनम्रता की मिसाल
राष्ट्रपति बनने के बाद भी वे अपनी सादगी से नहीं हटे। वे आम लोगों से मिलते, चिट्ठियों का जवाब देते और बच्चों को प्रेरित करते रहते थे। उनका मानना था कि “शिक्षा और सपना किसी भी व्यक्ति का जीवन बदल सकते हैं।“
🏷️ युवाओं के लिए प्रेरणा
🏷️ शिक्षा के क्षेत्र में योगदान
डॉ. कलाम का मानना था कि “अगर किसी देश को भ्रष्टाचार–मुक्त और सुंदर बनाना है, तो मेरा दृढ़ विश्वास है कि इसमें तीन प्रमुख सदस्य होते हैं – पिता, माता और शिक्षक।” उन्होंने जीवनभर शिक्षा को प्राथमिकता दी और अनेक छात्रों को मोटिवेट किया।
🏷️ प्रेरणादायक कथन
उनके कई प्रेरणादायक विचार आज भी लोगों के बीच प्रसिद्ध हैं, जैसे:
“सपने वो नहीं होते जो आप सोते समय देखते हैं, सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते।“
“अगर आप सूरज की तरह चमकना चाहते हैं, तो पहले सूरज की तरह जलना सीखो।”
🏷️ अंतिम समय तक सक्रिय
🏷️अंतिम भाषण में निधन
27 जुलाई 2015 को डॉ. कलाम को IIM शिलॉन्ग में लेक्चर देने के लिए आमंत्रित किया गया था। वे व्याख्यान दे ही रहे थे कि मंच पर ही अचानक गिर पड़े और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया। कुछ ही समय बाद उनका निधन हो गया। उनका जीवन और मृत्यु दोनों ही शिक्षाप्रद रहे — “काम करते हुए जीवन की समाप्ति।”
🏷️ अब्दुल कलाम से मिलने वाले जीवन के 7 सबक
- सपने देखो और उन्हें साकार करो
- कभी भी परिस्थितियों से हार मत मानो
- शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है
- देशभक्ति को जीवन का लक्ष्य बनाओ
- सादगी और ईमानदारी को अपनाओ
- समय का सदुपयोग करो
- युवाओं को प्रेरित करो और उनके साथ संवाद करो
🏷️ निष्कर्ष
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की प्रेरणादायक कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की उपलब्धि नहीं है, यह एक विचारधारा है। उनके जीवन से यह स्पष्ट होता है कि एक गरीब मछुआरे का बेटा भी देश का राष्ट्रपति बन सकता है, बशर्ते उसमें जिद, सपना और समर्पण हो। उनकी कहानी आज भी हर छात्र, शिक्षक, और नागरिक के लिए एक प्रकाश स्तंभ है।