हिम्मत न हारो – सफलता की पहली सीढ़ी
Hindi Motivational Story
छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था — नाम था अर्जुन। अर्जुन के पिता गाँव में बढ़ई का काम करते थे और माँ खेतों में मजदूरी। गरीबी ने अर्जुन को बचपन से ही मजबूत बना दिया था। स्कूल जाने के बाद वह खेतों में माँ का हाथ बंटाता और शाम को पिताजी के साथ लकड़ी काटने चला जाता।
अर्जुन के सपने बड़े थे — वह पढ़–लिखकर बड़ा आदमी बनना चाहता था। लेकिन हालात उसके बिल्कुल खिलाफ थे। उसके गाँव में अच्छा स्कूल भी नहीं था। शहर जाकर पढ़ाई करने के लिए पैसे नहीं थे। फिर भी अर्जुन ने हिम्मत नहीं हारी।
गरीबी में भी सपने बड़े रखना सीखें

एक दिन गाँव के स्कूल में जिला स्तर की प्रतियोगी परीक्षा हुई। अर्जुन ने भी परीक्षा दी। पूरे जिले में उसका नाम सबसे ऊपर आया। लेकिन जब इनाम लेने की बारी आई तो उसके पास शहर जाकर पुरस्कार लेने का किराया तक नहीं था। गाँव के कुछ लोगों ने चंदा इकट्ठा किया, तब जाकर अर्जुन शहर पहुँचा। वहाँ मंच पर उसका नाम पुकारा गया। उसने ट्रॉफी लेते हुए मंच से कहा — “आज यह मेरे लिए छोटी जीत है, पर एक दिन मैं बड़ा अफसर बनकर लौटूंगा।”
लोगों ने ताली बजाई, लेकिन कुछ लोगों ने पीछे से हँसी उड़ाई — “अरे गाँव का लड़का अफसर बनेगा? बिना पैसों के? ये सपना ही रहेगा!” अर्जुन ने सब सुना, पर उसने हार नहीं मानी।
वापस गाँव लौटकर उसने और मेहनत शुरू कर दी। दिन में स्कूल, शाम को खेत और रात में पढ़ाई। ठंडी रातों में जब सब सो जाते, अर्जुन लालटेन जलाकर किताबों में डूबा रहता। माँ कई बार कहती — “बेटा, इतना पढ़ने से क्या होगा? खेतों में काम कर, कुछ पैसे कमा।” लेकिन अर्जुन हर बार कहता — “माँ, यह किताब ही मुझे खेतों से निकालकर शहर ले जाएगी।”
धीरे–धीरे गाँव के लोगों ने भी उसका साथ देना शुरू किया। कोई पुरानी किताबें दे देता, कोई पुराने अखबार। एक शिक्षक ने उसे मुफ्त कोचिंग देना शुरू किया। अर्जुन ने हर मौके को पकड़ लिया। उसकी मेहनत रंग लाई। बारहवीं कक्षा में उसने जिले में पहला स्थान प्राप्त किया। अब उसे सरकारी कॉलेज में दाखिला मिला।
कॉलेज में भी मुश्किलें कम न थीं। हॉस्टल की फीस, किताबें, खाना — सबका खर्चा। अर्जुन ने ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। कॉलेज के बाद बच्चों को पढ़ाता और रात को अपनी पढ़ाई करता। कई बार भूखा सो जाता, लेकिन कभी हिम्मत न हारो के मंत्र को नहीं छोड़ा।
एक दिन उसका इंटरव्यू था — सरकारी अफसर की नौकरी के लिए। इंटरव्यू बोर्ड में बैठे अफसरों ने जब अर्जुन से पूछा — “तुम्हारे जैसे गरीब लड़के ने कैसे ये मुकाम पाया?” अर्जुन की आँखों में चमक थी — उसने कहा,
“**सपने कभी पैसों से पूरे नहीं होते, हौसले से पूरे होते हैं। गरीबी मेरी कमजोरी नहीं, मेरी ताक़त बन गई। मैंने हिम्मत नहीं हारी, यही मेरी सफलता की पहली सीढ़ी थी।”
इंटरव्यू बोर्ड ने खड़े होकर तालियाँ बजाईं। कुछ महीनों बाद अर्जुन को लेटर मिला — वह अफसर बन चुका था! गाँव लौटा तो वही लोग, जो कभी उसका मजाक उड़ाते थे, अब उसके स्वागत में फूल बरसा रहे थे। माँ की आँखों में आँसू थे — ये आँसू गरीबी के नहीं, जीत के थे।
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अर्जुन ने गाँव के बच्चों के लिए एक लाइब्रेरी खोली — ताकि कोई बच्चा किताबों की कमी से अपने सपने न छोड़े। उसने हर बच्चे को यही सीख दी —
“अगर तुममें हिम्मत है तो कोई भी मुश्किल तुम्हें हरा नहीं सकती। बस गिरो नहीं, रुको नहीं। यही सफलता की पहली सीढ़ी है।”
आज अर्जुन की कहानी हजारों बच्चों के लिए प्रेरणा बन चुकी है। उसकी यही कहानी एक Hindi Motivational Story के रूप में लोगों तक पहुँच रही है।
कहानी से सीख (Moral Story In Hindi)
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर हिम्मत और मेहनत साथ हो तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता। सफलता पाने के लिए सबसे जरूरी चीज है — हार न मानना। कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
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