अपने काम को हर रोज बेहतर करे। Apne Kaam Ko Har Roj Se Behtar Kare
Apne Kaam Ko Har Roj Se Behtar Kare ! दोस्तों आपको में इस कहानी में बताऊंगा की आप अपने काम को हर रोज कैसे बेहतर कर सकते है । ये कहानी पढ़कर आपको मोटिवेशन मिलेगा।
मोहन नाम का एक मूर्तिकार था। वह बहुत ही बढ़िया मूर्ति बनता था। उसकी मूर्ति सभी लोग खरीदते थे और वह बहुत अच्छा पैसा कमाता था। कुछ दिन बाद उसने शादी कर ली। फिर एक साल के बाद उसका एक लड़का हुआ। जब वह लड़का बड़ा हुआ तो वो भी अपने पापा के साथ मूर्ति बनाने में मदद करने लगा। धीरे धीरे वह लड़का बड़ा होते गया और मूर्ति बनाने में भी माहिर होने लगा। वो लड़का अपने पिता से भी बढ़िया मूर्ति बनाने लगा। उसकी बनाई मूर्ति बाजार में बहुत महंगे दाम में बिकने लगी।
वो लड़का जब भी कोई नई मूर्ति बनता था तब अपने पिता से पूछता था की पापा ये मूर्ति कैसी बनी है। उसका पिता कहता बेटा ये मूर्ति बहुत अच्छी है लेकिन इसमें ये कमी है इसको सही कर दो तो ये मूर्ति और भी अच्छी लगने लगेगी। लड़का अपने पिता की बात मानकर अगली बार उस मूर्ति में सुधार करता था। इस तरह उसकी मूर्ति में और भी चमक और खूबसूरती आने लगी। धीरे धीरे वो लड़का पुरे जिले में सबसे बेहतर मूर्तिकार के रूप में जाना जाने लगा। उसका नाम बढ़ने लगा।
अपनी कमियों को सुधारकर ही हम बेहतर हो सकते है।
लेकिन अभी भी जब भी कोई नई मूर्ति बनाता था तब अपने पिता से पूछता था फिर पिता उसमे कोई कमी निकाल देता था। धीरे धीरे लड़के को उसके पापा की बात बुरी लगने लगी और एक दिन उसके सब्र का बांध टुटा गया और उसने अपने पापा को बोल दिया की ” पापा अगर आपको मूर्ति की बनाने की इतनी समझ होती तो आपकी मूर्ति मुझसे अधिक दाम में बिकती तो अब आप मुझे मत सिखाइये की मूर्ति कैसी बनाई है “। यह बात सुनकर उसके पिता को बहुत बुरा लगा और उसके बाद उसने लड़के की मूर्ति में कमी निकलना छोड़ दिया।
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धीरे धीरे वक्त बीतता गया और लड़के में मूर्ति बनाने में कमी आने लगी। अब लोग उसकी बनाई मूर्ति में धीरे धीरे कमी निकालने लगे और उसकी मूर्ति की कीमत भी कम हो गई। एक बार लड़का निराश होकर बैठा था तब उसके पिता ने पूछा क्या हुआ बेटा तब लड़के ने पिता को सारी बात बताई। तब उसका पिता बोला बेटा में जनता था एक दिन तुम्हारे साथ यही होगा क्युकी जब में तुम्हारी मूर्ति में कमी निकलता था तब तुम उस मूर्ति में सुधार करके अपने कला को और भी बेहतर बनाते थे और अपने काम में और बेहतर बनते थे। जब मैने तुम्हारे काम में कमी निकलना छोड़ दिया तब तुमने अपनी कमियों पर काम करना छोड़ दिया और बेहतर मूर्ति बनाना भी छोड दिया क्युकी तुम अपने काम से खुश हो गए। इसलिए तुम्हारी बेहतर मूर्ति बनाने की कला भी कम होने लगी। जब तक तुम अपने काम में कमी निकल कर और बेहतर करोगे तब तक तुम्हारा विकास होता रहेगा और जब तुम अपने काम से Satisfied ही जाओगे की ये मेरा सबसे बेहतर काम है तब तुम और ग्रोथ नहीं कर पाओगे। इसलिए व्यक्तिं को अपने काम से Satisfied नहीं होना चाहिए और रोज अपने काम को बेहतर करना चाहिए।
दोस्तों हमें इस कहानी से ये सीख मिलती है की अगर घर के बड़े हमारे काम में कुछ कमी निकल रहे है तो इसका मतलब ये नहीं की वो हमें इस काम के लायक नहीं समझते | हो सकता है वो हमारे काम को और बेहतर बनाने के लिया हमारे काम में कमी निकल रहे हो। जिससे हम और बेहतर बन सके और विकास कर सके।