एक छोटा कदम — डर के बावजूद पहला कदम
एक छोटा कदम, बड़ी शुरुआत
कहते हैं कि जिंदगी में बदलाव लाने के लिए किसी बड़े चमत्कार की जरूरत नहीं होती। कभी-कभी बस एक छोटा कदम ही काफी होता है। यह कहानी The Power of One Small Step को समझाने के लिए है — कि कैसे एक छोटा सा कदम हमारी पूरी दुनिया बदल सकता है, बस हमें Taking Action करना होता है, चाहे डर कितना भी क्यों न हो।
कहानी की शुरुआत
राजू एक छोटे से गाँव में रहता था। उसकी उम्र पंद्रह साल थी लेकिन दिल से वह अभी भी डरा हुआ बच्चा ही था। बचपन में गरीबी, तानों और अपमान ने उसके अंदर से आत्मविश्वास छीन लिया था। उसके माता-पिता चाहते थे कि वह कुछ बड़ा करे, लेकिन राजू को अपनी काबिलियत पर कभी भरोसा नहीं रहा।
हर रात वह अपने छोटे से कमरे में लेटे-लेटे सपने देखता — शहर जाकर नौकरी करने के, अपनी दुकान खोलने के, या फिर अपने गाँव के बच्चों को पढ़ाने के। लेकिन सुबह होते ही उसके सारे सपने डर के साए में छिप जाते। उसे लगता, “मुझसे नहीं होगा। मैं हार जाऊंगा। लोग क्या कहेंगे?”
डर के साथ जीना
डर ने राजू को जकड़ लिया था। वह हर नए मौके को अपनी कमजोरी से तौलता। किसी ने कहा — “राजू शहर चल, वहां काम मिलेगा।” तो राजू ने खुद को यह कह कर रोक लिया कि “अगर काम न मिला तो? इतने बड़े शहर में मैं कहाँ जाऊँगा?”
उसने अपने गाँव में एक छोटी सी दुकान खोलने का सपना भी कई बार देखा, लेकिन फिर सोचता, “पैसे डूब गए तो? लोग हँसेंगे।”
उसकी हालत हर उस इंसान जैसी थी जो सपने तो देखता है पर कदम बढ़ाने से डरता है।
एक दिन की मुलाकात

एक दिन गाँव में एक बूढ़े बाबा आए। वो बाबा गाँव के बच्चों को कहानियाँ सुनाते और जीवन के बारे में सीख देते। राजू भी चुपचाप उनके पास जाकर बैठा।
बाबा ने कहा —
“बेटा, सबसे बड़ा झूठ क्या है जानते हो?”
राजू ने सिर हिलाया, “नहीं बाबा।”
“सबसे बड़ा झूठ ये है कि लोग सोचते हैं पहले डर खत्म होगा, तब काम शुरू होगा। डर कभी खत्म नहीं होता बेटा। सिर्फ एक चीज़ होती है — पहला कदम। वही डर को हराता है।“
राजू के दिल में कुछ हिला। बाबा ने कहा —
“कल सूरज उगते ही एक छोटा कदम उठाना। छोटा सा। जो दिल कहे वही। देखना बदलाव वहीं से शुरू होगा। यही है The Power of One Small Step।“
पहला कदम
रात भर राजू सोचता रहा। उसने तय किया कि वह अपनी पुरानी टूटी साइकिल को ठीक करेगा और गाँव के बच्चों को स्कूल छोड़ने का काम शुरू करेगा। यह काम कोई बड़ा नहीं था लेकिन यही उसकी Motivation बन सकती थी।
सुबह होते ही उसने अपनी माँ से कहा, “माँ, मुझे साइकिल ठीक करवानी है।”
माँ ने थोड़ा संकोच किया, “पैसे कहाँ हैं बेटा?”
राजू ने अपनी बचत की छोटी सी गुल्लक उठाई। उसमें बस दो सौ रुपये थे। लेकिन अब उसके कदम रुकने वाले नहीं थे। उसने साइकिल ठीक करवाई
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पहली कमाई
अगले दिन से राजू ने गाँव के बच्चों को स्कूल छोड़ना शुरू कर दिया। लोग हैरान थे — “राजू कुछ कर रहा है!”
पहले दिन उसे दस रुपये मिले। दस रुपये कम थे, लेकिन पहली कमाई में जो खुशी थी, वो अनमोल थी।
हर सुबह जब वो साइकिल पर बच्चों को लेकर जाता, उसे लगता कि वो अपनी लड़ाई जीत रहा है। धीरे-धीरे लोग उसकी तारीफ करने लगे। बच्चों के माँ-बाप ने उसे और बच्चों को स्कूल छोड़ने की जिम्मेदारी दे दी।
बदलाव की बयार

कुछ महीनों में राजू ने इतना पैसा जोड़ लिया कि उसने एक पुरानी स्कूटर खरीद ली। अब वह और भी बच्चों को स्कूल छोड़ने लगा। गाँव में राजू अब एक जिम्मेदार लड़के के रूप में देखा जाने लगा।
अब उसने सपने देखना नहीं छोड़ा था, बल्कि उनके लिए काम करना शुरू कर दिया था। उसे समझ आ गया था कि डर तब तक जिन्दा रहता है जब तक आप Taking Action नहीं करते।
एक छोटा कदम, एक बड़ी सीख
एक दिन उसी बाबा से फिर मुलाकात हुई। राजू ने बाबा के पाँव छूए। बाबा मुस्कुराए — “क्यों बेटा, डर गया था?” राजू ने हँसते हुए कहा — “डर तो अब भी है बाबा, लेकिन अब मुझे पता है कि डर को हराना है तो बस पहला कदम उठाना है।”
सीख
इस कहानी में राजू ने हमें एक बड़ा सबक दिया —
- अगर आप बदलाव चाहते हैं तो बस एक छोटा कदम उठाएँ।
- The Power of One Small Step यही है कि वह आपको चलना सिखा देता है।
- डर हमेशा रहेगा, लेकिन Taking Action से ही वो हारता है।
- यही असली Motivation है — खुद पर भरोसा और पहला कदम।
निष्कर्ष
जिंदगी किसी बड़े मौके का इंतजार नहीं करती। एक छोटा कदम ही आपका रास्ता बदल सकता है। अगर आप भी किसी डर से जकड़े हुए हैं तो बस एक काम कीजिए — आज एक छोटा कदम उठाइए।
क्योंकि The Power of One Small Step में ही वो ताकत छुपी है जो बड़े-बड़े सपनों को हकीकत बना देती है।
